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Saturday, 11 January 2020

बेलूर मठ में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी, किया रात्रि विश्राम, प्रातः आरती में हुए शामिल


प्रधानमंमत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की यात्रा पर शनिवार को कोलकाता पहुंचे। प्रधानमंत्री कलकत्ता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। शनिवार को सबसे पहले वह राजभवन पहुंचे, जहां पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनसे मुलाकात की
इस मुलाकात के दौरान उन्होंने सीएए वापस लेने की मांग करते हुए एनपीआर और एनआरसी भी न लागू करने की मांग की। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि फिलहाल वह यहां विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आए हैं। जो बात ममता बनर्जी करना चाहती हैं, उन पर दिल्ली में ही चर्चा हो सकती है। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी मिलेनियम पार्क पहुंचे, जहां उन्होंने हावड़ा ब्रिज के नाम से मशहूर रबीन्द्र सेतु के इंटरेक्टिव लाइट एंड साउंड शो का शुभारंभ किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रात्रि विश्राम रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में किया। बेलूर मठ में रात्रि विश्राम करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं। इंदिरा गांधी समेत देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री बेलूर मठ का दौरा कर चुके हैं, लेकिन उनमें से किसी ने भी वहां रात्रि विश्राम नहीं किया। मालूम हो, मोदी इससे पहले केदारनाथ की गुफा में भी रात व्यतीत कर चुके हैं। बेलूर मठ में रविवार को विवेकानंद जयंती मनाई जाएगी। रविवार सुबह प्रात: चार बजे बेलूर मठ में होने वाली आरती में शामिल हुए। बेलूर मठ में स्थित विवेकानंद मंदिर में ध्यान भी लगाया। विवेकानंद जयंती पर मठ में होने वाली प्रार्थना सभा में भी शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने प्रात: 8.45 बजे युवा दिवस के मौके पर मठ से ही देश के युवाओं को संबोधित किया।      
बेलूर मठ के बारे में जानें
बेलूर मठ तथा रामकृष्‍णा मंदिर पश्चिम  बंगाल का बहुत ही पवित्र स्थल है। यह हुगली नदी के तट पर बना हुआ है। इनकी स्‍थापना वर्ष 1898 में हुई थी। स्वामी विवेकानन्द का निवास स्‍थान बेलूर मठ ही रहा है। बेलूर मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी है। बेलूर मठ में ही स्वामी विवेकानंद जी की समाधि भी है। स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण 'परमहंस' के मुख्य शिष्य थे। बेलूर मठ अपने सुंदर वास्तुकला के लिए उल्लेखनीय है जो हिंदू, ईसाई और इस्लामी आदर्शों को सभी धर्मों की एकता के प्रतीक के रूप में जोड़ता है।  
हाबड़ा ब्रिज को जानें
हावड़ा ब्रिज कोलकाता (पश्चिम बंगाल ) में हुगली नदी पर स्थित है। इसका निर्माण 1943 में हुआ। हावड़ा और कोलकाता को जोड़ने वाला हावड़ा ब्रिज जब बनकर तैयार हुआ था तो इसका नाम था न्यू हावड़ा ब्रिज। 14 जून 1965 को गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर इसका नाम रवींद्र सेतु कर दिया गया, लेकिन इसका प्रचलित नाम हावड़ा ब्रिज ही है। अनुमान यह है इस पुल को बनाने में उस समय 333 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इससे बनाने में 26,500 टन इस्पात की खपत हुई है। 1937 से नया पुल बनना शुरू हुआ। इसी पुल के 150 साल पूरे होने पर वहां कार्यक्रम आय़ोजित किया जा रहा है। यह पुल 365.7 मीटर लंबा, 19 मीटर चौडा और इसका पुथपाथ 2.1 मीटर चौड़ा है।



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