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Friday, 10 January 2020

सुप्रसिद्ध इतिहासकार शोधकर्ता और लेखक एम चिदानंद मूर्ति का निधन


सुप्रसिद्ध इतिहासकार शोधकर्ता और लेखक एम चिदानंद मूर्ति का शनिवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। उन्हें हम्पी स्मारकों के संरक्षण के लिए चलाए गए अभियान के लिए भी जाना जाता था। 2015 चिदानंद मूर्ति उस समय काफी चर्चा में आए थे, जब उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने ही एक कार्यक्रम में घसीटा गया था।
उन्हें न केवल कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया था, बल्कि हिरासत में भी ले लिया गया था। दरअसल कर्नाटक की राज्य सरकार ने सुप्रसिद्ध कन्नड़ कवि देवार दासिमै्य्या का जन्मशती मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किय था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया थे। इस बीच वहां चिदानंद मूर्ति भी अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए। चिदानंद मूर्ति का कहना था कि कर्नाटक सरकार नासमझी कर रही है। वह दासिमैय्या को वछाना कवि मानती है। उनका कहना था कि वछाना कवि जेडारा दासिमैय्या हैं, देवारा दासिमैय्या नहीं। इस बात से रोष में आए आयोजकों ने मूर्ति को घसीटकर हॉल से बाहर निकाल दिया। इस बात को लेकर कर्नाटक सरकार की काफी निंदा हुई थी।

हम्पी स्मारक
मध्‍यकालीन भारत के महानतम साम्राज्‍यों में से एक, विजयनगर साम्राज्‍य की राजधानी, हम्‍पी थी, जो कर्नाटक राज्‍य के दक्षिण में स्थित है। हम्‍पी के चौदहवीं शताब्‍दी के भग्‍नावशेष यहां 26 वर्ग किलो मीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं पत्‍थरीले ग्रेनाइट के पहाड़ों से सुरक्षित ये भग्‍नावशेष आज भी अपनी भव्‍यता, विशालता और अद्भुत संपदा की कहानी कहते नजर आते हैं। कुछ लोग इसे विद्यासागर स्मारक भी कहते हैं। दरअसल, विजय नगर शहर के स्‍मारक विद्या नारायण संत के सम्‍मान में विद्या सागर के नाम से भी जाने जाते हैं हम्पी राजवंश के महानतम शासक कृष्‍ण देव राय (सन् 1509 - 30) ने भी यहां बड़ी संख्‍या में शाही इमारतें बनवाई थीं। हम्‍पी के मंदिरों को उनकी बड़ी विमाओं, फूलदार सजावट, स्‍पष्‍ट और कोमल पच्‍चीकारी, विशाल खम्‍भों, भव्‍य मंडपों और मूर्ति कला तथा पारंपरिक चित्र निरुपण के लिए जाना जाता है, जिसमें रामायण और महाभारत के विषय शामिल हैंइन भग्नावशेषों को सुरक्षित करने के लिए ही इतिहासकार चिदानंद मूर्ति ने एक आंदोलन चलाया था, जो काफी सफल रहा था।

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